ओम हमारे कानो में अक्सर सुनाई पड़ता है।और हम जाने अनजाने में इसका उच्चारण भी करते रहते है। लेकिन कम ही लोंगो को इसका शाब्दिक ज्ञान यानी कि इसका मतलब मालूम है। गीता में भी भगवान कहते है कि ओम का उच्चारण यानी जप करे। हर सन्त महात्मा ओम का जप करने की सलाह देते है। गुरु भी अपने शिष्य को निर्देश देते है। और सभी को यह मान्य भी है। ओम में तीन शब्दो का समावेश है।(अ ,उ और म) ये तीन वर्ण है;इनमे से अ जागृत अवस्था के लिए है, उ स्वप्न की अवस्था के लिए है और म सुषुप्ति के लिए प्रयुक्त है। यह व्यवस्था समाधिलाभ से पहले के लिए है।तत्व दृष्टि से ऐसा कोई भेद नही है। समाधि प्राप्त होने के पूर्व ऐसा चिंतन हो कि सम्पूर्ण जगत केवल ओंकार मात्र है।यह संसार वाच्य है और ओंकार इसका वाचक है। और यह जगत ही जगदीश्वर का स्वरूप है। इस ओम का ज्ञान प्राप्त करके, इस ज्ञान की भावना को खुद में प्रतिष्ठित कर के समस्त इन्द्रियों के वाह्य ज्ञान को समेटकर स्वयं की भी वाह्य सत्ता को ओम के उच्चारण के साथ सब को विलय करने से ओम का परम आनन्द और अनुभूति दोनो की प्रप्ति होती है और अज्ञान से मुक्ति प्राप्त होती है।
Friday, 20 October 2017
Subscribe to:
Posts (Atom)
साक्षी पाण्डेय का जन्मदिन।
मुंबई शहर के जाने माने समाज सेवक और शिक्षा विद आदरणीय स्वर्गीय श्री राजाराम जी पाण्डेय की पोती एवं श्री नलीन पाण्डेय एवं श्रीमती अनीता पाण...

-
अंक6 अंक 6 स्थूल शरीर और सूक्ष्म शरीर के बाद कारण शरीर को जानना भी अत्यंत आवश्यक है। कारण शरीर स्थूल शरीर और सूक्ष्म शरीर का बीज है।इसी ...
-
मुंबई शहर के जाने माने समाज सेवक और शिक्षा विद आदरणीय स्वर्गीय श्री राजाराम जी पाण्डेय की पोती एवं श्री नलीन पाण्डेय एवं श्रीमती अनीता पाण...
-
*इसे पड़े और सेव कर सुरक्षित कर लेवे। वाट्सअप पर ऐसी पोस्ट बहोत कम ही आती है।👇* विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र (ऋषि मुनियो ...